होली पर निबंध | Holi Essay in Hindi
होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है। जिसे हिन्दुओं के साथ अन्य धर्मों के लोग भी बड़े धूम-धाम से रंगों के साथ और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली के त्यौहार के उपलक्ष में सभी लोग एक दूसरे के घर जा कर नाचते- गाते और रंग लगाते हैं, होली के दिन पर लोग अपने घरों में अलग-अलग तरह के पकवानों को बनाते हैं। होली पर निबंध निबंध लिखने के लिए छात्रों को एग्जाम में भी दिया जाता है। आज आर्टिकल के माध्यम से हम होली के बारे में सभी जानकारियां दी जा रही हैं जैसे- होली क्यों मनाई जाती है ? होली कब मनाई जाती है ? और होली के उपलक्ष में कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं आदि लेख के माध्यम से विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। Holi Essay in Hindi का विस्तार पूर्वक वर्णन नीचे किया जा रहा है।
त्योहार भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा हैं, यहाँ कई तरह के रंग-बिरंगे व विविथतापूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश के प्रमुख त्योहारों में से होली एक है जो कि जीवन के उत्साह, उल्लास और उमंग को बनाए रखने का काम करता है। होली पर हिंदी निबंध में होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि यह holi ka nibandh (होली का निबंध) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली विषय पर निबंध के लिए सामग्री की तलाश कर रहे हैं।
होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है।
Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।
होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।
इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
होली पर हिंदी निबंध (Essay on Holi in Hindi) – प्रस्तावना (Introduction)
होली का त्योहार कब मनाया जाता है – होली जिसे “रंगो का त्योहार” के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है। आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? इस वर्ष होली 08 मार्च, 2023 को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।
होली का आगमन और उत्सव (When Holi festival arrive)
होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।
इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।
खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं।
वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।
लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।
लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।
होली में रंगों का क्या महत्व है? (Importance of Holi festival)
होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।
होली को हर साल बसंत ऋतु में मार्च (फ़ागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल होली 29 मार्च को मनाई जायेगी। इस दिन पर सभी कर्मचारियों व छात्रों का दो दिन का अवकाश रहता है। पहले दिन लकड़ी की होलिका बना कर होलिका का दहन किया जाता है और दूसरे दिन होली मनाई जाती है। होली के दिन बच्चे ढोलक और रंग ले कर होली मांगने के लिए घर-घर जाते हैं। वहां लोगों द्वारा उनकों पैसे दिए जाते है। होली की तैयारियों में लोग पहले से ही लग जाते है सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर मिठाइयां और रंगों को ले कर जाते है। होली के दिन सभी लोग अपनी हीन भावनाओं को भुला कर एक दूसरे से मिलते है। होली का त्यौहार भारत के अलावा कई देशों जैसे – कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि देशों में भी मनाया जाता है हर साल होली मार्च के महीने में अलग-अलग तिथि पर आती है।
होली को और किन नामों से जाना जाता है?
होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
- होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
- दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
- बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
- फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।
शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।
भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।
होली क्यों मनाते हैं – होली का इतिहास (Holi festival history)
होली मनाने के पीछे असुर हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की कहानी है। हिरण्यकश्यप असुरों का राजा था जो अपने आप को भगवान मानता था। लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के भक्त थे और उनमें अनंत आस्था रखते थे। ये बात हिरण्यकश्यप को बिलकुल भी रास नहीं आती थी। इस बात को ले कर हिरण्यकश्यप अपने पुत्र का भगवान् विष्णु के प्रति असीम भक्ति का विरोध किया करता था और उस से अप्रसन्न रहता था। उसका विचार था की उसके अलावा किसी और को भगवान नहीं मान सकते हैं। हिरण्यकश्यप द्वारा प्रह्लाद को कितनी ही बार चेतावनी दी जाती है की वे विष्णु की आराधना ना करें वरना उन्हें मृत्यु दंड दिया जाएगा। लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की एक बात ना सुनी और चेतावनी देने के बाद भी विष्णु की आराधना में लीन रहते थे। हिरण्यकश्यप द्वारा बहुत बार तो अपने पुत्र को मारने की कोशिश की गयी लेकिन वे इस कोशिश में असफल रहे। तमाम कोशिशों के बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद लेने की सोची।
होलिका को भगवान ने वरदान दिया था की होलिका को कोई आग में नहीं जला सकता है। इसके बाद हिरण्यकश्यप द्वारा चिता बनवायी जाती है जिसमे होलिका के साथ प्रह्लाद को बैठा दिया जाता है और चिता को आग लगा दी जाती है। प्रह्लाद चिता में बैठने के बाद भी विष्णु की आराधना में ही लीन रहते हैं और आग में होलिका भस्म हो जाती है। उसका वरदान भी निष्फल हो जाता है क्यूंकि उसने अपने वरदान का दुरूपयोग करने के लिए इस्तेमाल किया था। वहीँ दूसरी तरफ प्रह्लाद आग में बैठने के बाद भी अपनी भक्ति की शक्ति के कारन सुरक्षित रहते हैं।
इस कहानी में बताया जा रहा है की बुराई का एक न एक दिन अंत हो ही जाता है। इस कहानी के प्रतीक स्वरुप ही इस दिन से होली के पहले दिन सभी लोगों द्वारा लकड़ी और कपड़ों की होलिका बनाई जाती है। जिसकी लोगों द्वारा पूजा की जाती है और इस दिन होलिका दहन की जाती है जिसमे लोग अपनी बुराइयों को को होलिका के साथ में खत्म करने की विनती करते है।
होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां
होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।
होली के दिन ध्यान रखने योग्य बातें (Remember things)
होली के दिन जिन बातों को ध्यान में रखना होता है उन सभी बातों की सूची नीचे लेख में दी जा रही है। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए दी गयी सूची को पढ़ें।
- होली में केमिकल व कांच वाले रंगों का प्रयोग न करें। इस से त्वचा को नुक्सान पहुँचता है। साथ ही बहुत से लोगों को एलर्जी की समस्या भी हो जाती है।
- Holi खेलने के लिए स्वच्छ पानी का प्रयोग करें।
- होली खेलते समय आप अपनी आँखों का ख्याल रखें। इसके लिए होली खेलते समय चश्मे का प्रयोग करें।
- रोड पर किसी वाहन चलाते व्यक्ति पर पानी से भरे गुब्बारे न मारें। इस से उस व्यक्ति के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है।
- किसी भी वाहन पर पानी ना फेंके इससे दुर्घटना भी हो सकती है।
- होली खेलते समय रंगों व पिचकारी से अपनी आँखों को बचा कर रखें।
- पर्व के दिन ऐल्कोहॉल का सेवन न करें।
- बूढ़े व्यक्तियों पर पानी के गुब्बारे व पिचकारी न मारें।
- छोटे बच्चों को होली खेलते समय उनकी सुरक्षा के बारे में अवश्य बता दें।
- बेहतर होगा होली में पानी का कम से कम उपयोग करें और सूखे व प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें। इसके लिए आप फूलों आदि का प्रयोग करें। या फिर घर पर बनाये हुए रंगों का इस्तेमाल करें।
होली के हानिकारक प्रभाव (Dangerous effects)
Holi का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें।
आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए।
भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं (Types of Holi festival in different state)
ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।
ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।
जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।
मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।
बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।
पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।
मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।
भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।
महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।
गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं।
पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।
हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।
भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।
राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।
बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।
मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।
निष्कर्ष: (Conclusion)
होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं।
इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।
होली पर निबंध 10 लाइन (Holi essay in hindi 10 lines)
1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।
3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।
4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।
6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।
8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।
9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।
10) यह हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
होली की शुभकामनाएँ (Holi Greetings in Hindi)
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!
उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। शुभ होली!
Holi Essay in Hindi FAQ’s
प्रश्न: वर्ष 2023 में होली कब मनाई जाएगी?
उत्तर: साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई जाएगी।
प्रश्न: होली में रंगों का क्या महत्व है?
उत्तर: होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।
प्रश्न: होली के दिन हमें किन-किन बातों को ध्यान में रखना होता है?
उत्तर: इस त्यौहार के दिन बहुत सी दुर्घटनाएं होती है व कई लोगो का चेहरा रंगों की वजह से खराब हो जाता है। होली के दिन लोगों को कांच वाले और केमिकल वाले रंगों से बचना चाहिए। चलती वाहन पर पिचकारी व पानी भरें गुबारों को ना फेंके यह दुर्घटना का कारण भी बन सकता है।
प्रश्न: होली को और किन-किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर: आमतौर पर होली को सभी राज्यों में होली के नाम से ही जाना जाता है परन्तु कुछ जगहों में होली को आका, डोल के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी होली के नाम से ही यह त्यौहार प्रशिद्ध है।
प्रश्न: Holi का नाम किसके नाम पर पड़ा है ?
उत्तर: होली का नाम हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।
प्रश्न: हिरण्यकश्यप अपने ही पुत्र प्रह्लाद को मरने का प्रयास क्यों करता था ?
उत्तर: प्रह्लाद एक असुर परिवार के बालक थे। जो की भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। परन्तु यह बात प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को पंसद नहीं थी क्योकि वे भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानते थे। इसलिए हिरण्यकश्यप हर समय प्रह्लाद को मरने का प्रयास करते रहते थे।
प्रश्न: होली के दिन लोग कौन-कौन से पकवान बनाते हैं ?
उत्तर: सभी राज्यों में होली के उपलक्ष में अलग-अलग पकवान (मावा पेड़े, घेवर, गुजिया) बनाये जाते हैं।
प्रश्न: होली को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।
प्रश्न: होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।